Friday, 2 January 2015

जहर उगलते मोबाइल टावर

             
21 वीं सदी के लिए वरदान कही जाने वाली टेलिकॉम इंडस्ट्री कहीं इस धरती और मानव जीवन के लिए अभिषाप न बन जाये। चौबीस घंटे बिजली के भूखे मोबाइल टावरों द्वारा किये जा रहे जहर के उत्सर्जन से कुछ एसे ही संकेत मिल रहे हैं। भारत में मोबाइल टावरों को चलाने के लिए एक साल की डीजल खपत लगभग 7.5 अरब लीटर है। क्योंकि इन्हें लगातार चालू रखना होता है, इसलिए बिजली के जाने पर जनरेटर चलाने होते हैं। जनरेटर की खपत शहरी इलाकों में थोड़ी कम और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है। अकेले दिल्ली के इलाके में, टेलिकॉम इंडस्ट्री ने 2011 में 6.6 लाख मेगावाट ऊर्जा का उपयोग किया। इतनी ऊर्जा को उत्पन्न करने में 382 टन कार्बनडाई ऑक्साइड और 2123 टन दूसरे हानिकारक पदार्थ उत्सर्जित होते हैं। नए टावर लगने से यह आंकड़ा और बढ़ गया है। दिल्ली में 14 हज़ार से भी अधिक टावर हैं। यह दिल्ली का आलम है, जहां बिजली की आपूर्ति नियमित है। सिर्फ दिल्ली क्षेत्र में टेलिकॉम इंडस्ट्री से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों की मात्रा अन्य स्रोतों से निकलने वाले कचरे का तीन गुना है।

            भारत में 8.6 लाख बीटीएस (जहां टावर लगा होता है) हैं। शहरों मे औसत बिजली आपूर्ति 20 घंटे प्रतिदिन जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 13 घंटे प्रतिदिन है। टेलिकॉम इंडस्ट्री से सालाना 2.79 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड और 2.95 लाख टन नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। यह आंकड़े हैं, आंकड़ों की जुबान नहीं होती। इनकी विभीषिका का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि सैकड़ों तरह की पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो चुकी हैं और हजारों विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन्सानों में तरह-तरह के मानसिक विकार तेजी से बढ़ रहे हैं। अरबों में राजस्व रखने वाली टेलीकॉम कंपनियां अपनी सिर्फ एक ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाती हैं, वह है रुपया वसूली। इसके अलावा उन्हें दुनिया-दारी से कोई मतलब नहीं। सभी रंग की सरकारें भी कंपनियों की भाषा बोलती नजर आती हैं।


         यह समस्या असमाधेय नहीं है, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग करके इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन कंपनियों को इस तरह का निवेश अतिरिक्त लगता है। भारत सरकार भी उनके सुर में सुर मिलाती है। इन कंपनियों पर दबाब बनाकर जनहित में नीतियाँ बनाना आज समय की मांग है। लेकिन कंपनियों को तरह तरह की सब्सिडी और छूट देने वाली सरकारों से एसी उम्मीद करना नासमझी है। इस मानवीय संकट से उबरने कि लिए तत्काल इसके विरोध में खड़े होने की जरूरत है।

-राजेश चौधरी

1 comment:

  1. मोबाइल टावर से एक और समस्या पैदा होती है. रेडिएशन की. राजेश भाई इसपर भी कुछ लिखकर भेज दो.

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